दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध मैत्रेयी महाविद्यालय ने भारत में पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती सप्ताह के उपलक्ष्य में लाइब्रेरियंस डे मनाने के लिए ‘नॉन-यूनिकोड फॉण्ट्स में प्लेजरिजम जांच की समस्याएं और चुनौतियाँ‘ विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार की अध्यक्षता की मैत्रेयी महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. हरित्मा चोपड़ा ने जबकि बतौर मुख्य अतिथि इग्नू में लाइब्रेरी साइंस के प्रोफेसर जयदीप शर्मा ने शिरकत की तथा मुख्य वक्ता के रूप में मैत्रेयी महाविद्याल के वरिष्ठ संस्कृत प्राध्यापक डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. हरित्मा चोपड़ा ने पुस्तकालय के महत्त्व एवं वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हुए कहा कि पुस्तकालय ही किसी संस्थान के मुख्य स्तम्भ होते हैं। इन्हें सदैव समृद्ध करने हेतु उद्यत रहना चाहिए। प्रो. चोपड़ा ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में प्लेजरिजम एक महत्त्वपूर्ण मसला है, जिसे सही ढंग से समझने एवं इस पर यथोचित अमल करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने मुख्य अतिथि प्रो. जयदीप शर्मा के प्रति आभार भी जताया। प्रो. जयदीप शर्मा ने पद्मश्री डॉ. रंगराथन के कर्तव्य के प्रति जुनून को दर्शाया और प्लेजरिजम की प्रमुख अवधारणा को रेखांकित किया। उन्होंने डॉ. रंगनाथन के बारे में बताया ‘वे इतने कर्मठ एवं कर्तव्य के प्रति समर्पित थे कि अपने पूरे कार्यकाल में केवल मात्र अपने विवाह के दिन आधा दिन का अवकाश लिया था’। उनकी कर्तव्यपरायणता हम सब के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय है।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने नॉन यूनिकोड फॉण्ट्स में प्लेजरिजम निर्धारण की समस्याओं एवं चुनौतियों को बताते हुए इसके समाधान के प्रायोगिक पक्ष पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सभी भाषाओं हेतु पहले परम्परागत फॉण्ट्स ही बनाए जाते हैं, जिन्हें नॉन-यूनिकोड फॉण्ट्स की श्रेणी में समाहित किया जाता है। नॉन-यूनिकोड फॉण्ट्स इन्टरनेट इत्यादि हेतु असुविधाजनक होते हैं, साथ ही इन फॉण्ट्स के माध्यम से लिखे गए लेखों का प्लेजरिजम जांचना अत्यन्त कठिन कार्य है। बाद में उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रयोग करके इन समस्याओं का व्यावहारिक एवं सरलतम समाधान भी प्रस्तुत किया।
वेबिनार के संयोजक एवं मैत्रेयी महाविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. प्रदीप राय ने अपने स्वागत वक्तव्य में सभी गणमान्यजनों के साथ प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और डॉ. एस. आर. रंगनाथन के व्यक्तित्व एवं आदर्शों को उपस्थापित करते हुए उनकी सम्पूर्ण जीवनयात्रा पर संक्षिप्त व सारगर्भित प्रकाश भी डाला। गौरतलब है कि मैत्रेयी पुस्तकालय द्वारा आयोजित इस वेबिनार में महाविद्यालय की एसपीए रजनी भनोट एवं एसपीए पूनम ने प्रतिभागियों को वक्ताओं का परिचय दिया जबकि वरिष्ठ व्यावसायिक सहायक अर्जुन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।