मैत्रेयी कॉलेज में इनेबलिंग यूनिट द्वारा 31 जनवरी, 2020 से ‘भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग’ विषय पर चल रहा कौशल विकासाधारित प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम (Certificate Course) 30 अप्रैल, 2020 को समाप्त हुआ। इसी विषय पर जनवरी माह में कॉलेज में एक सप्तदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गयी थी। इस कार्यशाला को लेकर छात्रों में जबरजस्त उत्साह (रिस्पांस) देखने को मिला था। इसी के मद्देनज़र कॉलेज प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा की प्रेरणा से डॉ. ज्योति सिंह एवं डॉ. प्रमोद कुमार सिंह के समन्वयन में एक त्रैमासिक प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम को प्रारम्भ किया गया है। यह पाठ्यक्रम पूर्णतः निःशुल्क था, जिसमें किसी भी उच्च शैक्षणिक संस्थान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्र को प्रतिभाग करने का अवसर दिया गया था। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। निर्धारित समय में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया। ‘पहले आओ, पहले पाओ’ इस प्रवेश-नीति का पालन करते हुए 76 प्रतिभागियों का अन्तिम रूप से चयन किया गया। प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने के लिए विषय विशेषज्ञों के साथ-साथ चार विद्यार्थी ट्रेनर्स भी नियुक्त किए गए हैं। पाठ्यक्रम हेतु बनाए गए नियमों पर खरे उतरने वाले कुल 37 प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र से नवाजा गया।
सफलता हेतु प्रतिभागियों को सख्त नियमों से गुज़रना पड़ा
गौरतलब है कि इस कोर्स के लिए कुल 300 अंकों की विभिन्न परीक्षा-कार्यक्रम नियत है। एतदर्थ द्विविध मूल्यांकन पद्धति प्रस्तावित की गई थी – आन्तरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) एवं पाठ्यक्रमोपरान्त परीक्षा (Final Examination)। आन्तरिक मूल्यांकन हेतु 100 अंक निर्धारित थे, जिसमें से 70 अंक प्रदत्त कार्य (Assignment) के लिए तथा शेष 30 अंक उपस्थिति (Attendance) के लिए रखे गए। इसमें 10-10 अंकों वाले कुल 7 प्रदत्तकार्य (Assignments) के लिए नियत था अर्थात् (7×10=70)। शत प्रतिशत (100%) उपस्थिति होने पर प्रतिभागियों को पूरे 30 अंक दिए गए, जबकि 85–99% उपस्थिति के लिए 25 अंक प्रदान किए गए। जिनकी उपस्थिति 85% से कम उपस्थिति रही उन्हें न तो कोई अंक मिला और न ही आगे पाठ्यक्रम में बने रहने दिया गया। पाठ्यक्रमोपरान्त परीक्षा (Final Examination) दो माध्यमों में परीक्षा हुई- ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन। ऑनलाइन माध्यम में 50 बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions) पूछे गए, जिसमें प्रत्येक सही उत्तर के लिए 3 अंक निर्धारित था (50×3=150)। प्रायोगिक परीक्षा के लिए 50 अंक रखे गए थे। इसके तहत कार्यक्रम अवधि में दिए गए विभिन्न प्रशिक्षणों से सम्बन्धित प्रायोगिक पक्ष का परीक्षण किया गया। परीक्षा में प्रतिभागियों द्वारा अर्जित अंक के आधार पर उन्हें यहाँ प्रदर्शित ग्रेड-प्रणाली में प्रमाणपत्र / ई-प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। प्रस्तुत पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संस्कृत, हिन्दी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम इत्यादि भारतीय भाषाओं से सम्बन्धित अति नवीनतम संगणकीय संसाधनों से छात्रों को रूबरू कराना था, जो भाषा अवरोध को कम करने में काफी मददगार रहा।